विनायक दामोदर सावरकर, जिन्हें आमतौर पर वीर सावरकर के नाम से जाना जाता है, एक प्रसिद्ध एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी, लेखक और हिंदू राष्ट्रवादी विचारक थे। उन्होंने अपने जीवन काल में कई पुस्तकें लिखीं, जो न केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, राजनीति और इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं, बल्कि इन्होंने राजनीतिक और सामाजिक चेतना फैलाने का प्रयास भी किया। आइए, इस लेख में, उनके द्वारा लिखी गई श्रेष्ठ हिंदी पुस्तकों पर एक नज़र डालते हैं।
उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अपने साहित्य के माध्यम से वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक थे और उनके जीवन, संघर्ष और विचारों ने कई स्वतंत्रता सेनानियों, क्रांतिकारियों एवं लेखकों को प्रेरित किया है। ध्यान रहे सावरकर से प्रभावित होने वाले व्यक्तियों में कई महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानी जैसे मदनलाल ढींगरा, मैडम भीकाजीकामा, सरदार भगत सिंह, सुभाषचंद्र बोस आदि शामिल थे।
उनकी लेखनी ने पाठकों को प्रेरित और प्रभावित किया है, और उनके विचार आज भी प्रासंगिक बने हुए हैं।सावरकर पर लिखी गई ये पुस्तकें उनके बहुआयामी व्यक्तित्व और विचारों को समझने में हमारी सहायता करती हैं। यह सावरकर के जीवन और कार्यों के विभिन्न पहलुओं को उजागर करती है। इन्हैं पढ़कर हम उनके संघर्षों, बलिदानों और विचारों से प्रेरणा ले सकते हैं और इतिहास के इस महान व्यक्तित्व के योगदान को समझ सकते हैं।
सावरकर द्वारा लिखित पुस्तकें:
क्रमांक | पुस्तक का नाम | विषय |
---|---|---|
1. | 1857 का स्वातंत्र्य समर | 1857 का भारतीय विद्रोह और पहला स्वतंत्रता संग्राम |
2. | हिंदुत्व | हिंदू राष्ट्रवाद और हिंदू समाज के विषय |
3. | हिंदू पद्पादशाही | मराठा साम्राज्य और हिंदू धर्म संरक्षण |
4. | छहा स्वर्णिम पृष्ठ | हिंदू इतिहास के महत्वपूर्ण पड़ाव और गौरव |
5. | गोमांतक | गोवा की मुक्ति संग्राम की कहानी |
6. | मोपला | मोपला विद्रोह और हिंदुओं पर अत्याचार |
7. | काला पानी | अंडमान की जेल में क्रांतिकारियों का जीवन |
8. | वीर सावरकर: मेरा आजीवन कारावास | सावरकर के कारावास के अनुभव और संघर्ष |
9. | सावरकर समग्र – I से X | सावरकर के समग्र साहित्य का संकलन |
#1. 1857 का स्वातंत्र्य समर
यह 1857 के भारतीय विद्रोह पर आधारित है, जिसे उन्होंने भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम के रूप में चित्रित किया है। यह पुस्तक विद्रोह के कारणों, घटनाओं और परिणामों का विस्तृत विवरण प्रदान करती है।
#2. हिंदुत्व
हिंदुत्व सावरकर के राजनीतिक और सामाजिक विचारों को प्रस्तुत करने वाली एक महत्वपूर्ण पुस्तक है। इसमें हिंदू राष्ट्रवाद, हिंदू पहचान और हिंदू समाज के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है।
#3. हिंदू पद्पादशाही
इसमें सावरकर ने मराठा साम्राज्य के उत्थान और पतन का वर्णन किया है। वह मराठा शासकों को हिंदू धर्म और संस्कृति के संरक्षक के रूप में चित्रित करते हैं। यह पुस्तक हिंदू राष्ट्रवाद और स्वाभिमान को प्रोत्साहित करती है।
#4. छ: स्वर्णिम पृष्ठ
इसमें सावरकर ने हिंदू इतिहास के छह महत्वपूर्ण पड़ावों का वर्णन किया है। वह इन घटनाओं को हिंदू पहचान और गौरव के स्वर्णिम क्षणों के रूप में प्रस्तुत करते हैं। यह पुस्तक हिंदू इतिहास और संस्कृति के प्रति सम्मान और अभिमान को प्रेरित करती है।
#5. गोमांतक
यह उपन्यास पुर्तगाली शासन से गोवा की मुक्ति के संघर्ष पर आधारित है। इसमें सावरकर ने गोवा के लोगों के जुझारूपन और देशभक्ति को उजागर किया है।
#6. मोपला
यह 1921 के मोपला विद्रोह पर आधारित है। सावरकर ने इस पुस्तक में हिंदुओं पर हुए अत्याचारों और हिंसा का विस्तृत वर्णन किया है। यह पुस्तक उस समय के सांप्रदायिक तनाव और हिंदू समाज पर उसके प्रभाव को दर्शाती है।
#7. काला पानी
यह सावरकर की प्रसिद्ध पुस्तकों में से एक है। इसमें उन्होंने अंडमान की जेल में कैदियों के जीवन और संघर्षों का मार्मिक चित्रण किया है। यह उपन्यास क्रांतिकारियों के त्याग और बलिदान को उजागर करता है।
#8. मेरा आजीवन कारावास
यह सावरकर की जेल डायरी पर आधारित है। इसमें उन्होंने अपने कारावास के दिनों के अनुभवों और संघर्षों को विस्तार से लिखा है। यह पुस्तक उनके जीवन के सबसे कठिन समय की झलक प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक उनके जीवन, संघर्षों और विचारों को बेहद मार्मिक और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करती है।
#9. सावरकर समग्र – भाग (1-10)
यह सावरकर के समग्र साहित्य का संकलन है जो दस खंडों में प्रकाशित हुआ है। इसमें उनकी कविताएँ, उपन्यास, निबंध, भाषण और पत्र शामिल हैं। यह संकलन उनकी साहित्यिक प्रतिभा और विचारों को एक व्यापक परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करता है।
सावरकर पर अन्य लेखकों द्वारा लिखित पुस्तकें:
आइए, हम विनायक दामोदर सावरकर पर अन्य लेखकों द्वारा लिखी गई कुछ श्रेष्ठ हिंदी पुस्तकों को विस्तार से जानते हैं:
क्रमांक | पुस्तक का नाम | लेखक | सावरकर सम्बंधित विषय |
---|---|---|---|
1. | सावरकर: एक भूले-बिसरे अतीत की गूंज | विक्रम संपत | कम चर्चित पहलू पहलुओ को सामने लाती है |
2. | सावरकर: एक विवादित विरासत 1924-1966 | विक्रम संपत | विवादास्पद विचार और निर्णय |
3. | वीर सावरकर जो भारत का विभाजन रोक सकते थे | उदय माहुरकर, चिरायु पंडित | विचारों और भारत विभाजन पर विश्लेषण |
4. | मैं सावरकर बोल रहा हूँ | शिव कुमार गोयल | जीवन और विचारों पर काल्पनिक संवाद |
5. | सावरकर: काला पानी और उसके बाद | अशोक कुमार पांडेय | कारावास और बाद के जीवन पर केंद्रित |
6. | स्वतंत्रय वीर सावरकर | राकेश कुमार आर्य | जीवन और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान |
7. | देश का विभाजन और सावरकर | आर्य राकेश कुमार | भारत के विभाजन और सावरकर के विचारों का संबंध |
#1. सावरकर: एक भूले-बिसरे अतीत की गूंज – विक्रम संपत
इसमें सावरकर के जीवन के उन पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है, जो अक्सर चर्चा में नहीं आते। लेखक ने सावरकर के कम ज्ञात संघर्षों और योगदान को उजागर किया है।
#2. सावरकर: एक विवादित विरासत 1924-1966 – विक्रम संपत
यह पुस्तक सावरकर के जीवन के विवादित पहलुओं पर केंद्रित है। इसमें 1924 से 1966 तक के कालखंड में सावरकर के विचारों, राजनीतिक गतिविधियों और उनके द्वारा लिए गए निर्णयों का विश्लेषण किया गया है। पुस्तक उनकी विरासत को निष्पक्ष रूप से प्रस्तुत करती है और पाठकों को उनके जीवन के महत्वपूर्ण मोड़ों को समझने में मदद करती है।
#3. वीर सावरकर जो भारत का विभाजन रोक सकते थे – उदय माहुरकर और चिरायु पंडित
यह एक विवादास्पद तथा अत्यंत महत्वपूर्ण विषय पर केंद्रित है, जो कि VEER SAVARKAR THE MAN WHO COULD HAVE PREVENTED PARTITION का हिंदी अनुवाद है। उल्लेखनीय है कि लेखक उदय महुरकर केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त हैं। सावरकर के विचारों और कार्यों का विश्लेषण करते हुए यह पुस्तक तर्क देती है कि यदि उनके सुझावों पर अमल किया गया होता तो भारत का विभाजन टाला जा सकता था।
#4. मैं सावरकर बोल रहा हूँ – शिव कुमार गोयल
यह सावरकर के जीवन और विचारों पर आधारित एक काल्पनिक संवाद है। इसमें लेखक ने सावरकर के दृष्टिकोण से विभिन्न विषयों पर चर्चा की है और उनके व्यक्तित्व को नए आयामों से प्रस्तुत किया है।
#5. सावरकर: काला पानी और उसके बाद – अशोक कुमार पांडेय
द्वारा लिखित यह पुस्तक सावरकर के कारावास और उसके बाद के जीवन पर केंद्रित है। इसमें उनके अंडमान में बिताए गए दिनों, रिहाई के बाद के संघर्षों और राजनीतिक गतिविधियों का विस्तृत वर्णन किया गया है।
#6. देश का विभाजन और सावरकर – आर्य राकेश कुमार
द्वारा लिखित यह पुस्तक भारत के विभाजन और सावरकर के विचारों के बीच के संबंधों का विश्लेषण करती है। यह पुस्तक विभाजन के कारणों, सावरकर की भूमिका और उनके विचारों के प्रभाव पर प्रकाश डालती है।
विवादास्पद पहलू:
सावरकर के जीवन और विचारधारा के कुछ पहलू विवादास्पद रहे हैं। उन के प्रमुख विवाद निम्न्लिखित हैं:
- सावरकर ने हिंदुत्व के विचार को लोकप्रिय बनाया और अखंड हिंदू राष्ट्र के निर्माण पर जोर दिया। उनके द्वारा प्रतिपादित हिंदुत्व और हिंदू राष्ट्रवाद के विचारों को कट्टरपंथी और सांप्रदायिक माना जाता है। कुछ लोगों का मानना है कि उनकी विचारधारा ने धार्मिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा दिया।
- सावरकर पर महात्मा गांधी की हत्या में संलिप्तता के आरोप लगे थे। हालाँकि, कानूनी प्रक्रिया में उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया, लेकिन कुछ इतिहासकारों ने उनकी भूमिका पर सवाल उठाए हैं।
- उनकी कुछ लेखनियों और बयानों को अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव और असहिष्णुता को बढ़ावा देने वाला माना गया है।
- सावरकर पर ब्रिटिश सरकार से माफी मांगने और कारावास से रिहाई के लिए अपील करने का भी आरोप लगाया गया था।
निष्कर्ष
सावरकर का एक ऐसा प्रभावशाली व्यक्तित्व था, जिनके विचार और कार्य आज भी समाज और राजनीति में प्रासंगिक बने हुए हैं। उनकी जीवनी और विरासत को लेकर विभिन्न वर्गों और विचारधाराओं के बीच मतभेद हैं, जो उन्हें लगातार चर्चा में बनाए रखते हैं।
सावरकर द्वारा लिखित ये पुस्तकें उनकी विचारधारा और लेखनी की विविधता को प्रदर्शित करती हैं। इनमें उन्होंने इतिहास, राजनीति, सामाजिक मुद्दों और व्यक्तिगत अनुभवों को कुशलता से समेटा है। ये न केवल सावरकर के विचारों को समझने में मददगार हैं, बल्कि इन्हें पढ़कर सावरकर और उनके युग के बारे में एक गहरी अंतर्दृष्टि प्राप्त की जा सकती है।